Wednesday, October 28, 2009

शादी से पहले ‘स्वास्थ्य कुंडली’ अवश्य मिलाइए

शादी से पहले वर-वधु की कुंडली मिलने की प्रथा तो सदियों से चली आ रही है, इसके साथ ही साथ वर-वधु की स्वास्थ्य-कुंडली मिला लेना भी बेहद ही आवश्यक हो गया है, ऐसा करने से आने वाले पीढी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है| थालेसिमिया और HIV एसे रोग हैं जो की माता-पिता के द्वारा होने वाले बच्चों में फैलाते हैं और बच्चों के भविष्य पर अंकुश लगा जाते हैं| इन्हें जरूर रोका जा सकता जय यदि हमारा समाज इनके प्रति जागरुक हो!!!

थेलेसीमिया (अंग्रेज़ी:Thalassemia) बच्चों को माता-पिता से अनुवांशिकता के तौर पर मिलने वाला जन्मजात अनुवांशिक रक्त-रोग है जिसके कारण तहत शरीर में हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में गड़बड़ी हो जाती है। इसकी पहचान तीन माह की आयु के बाद ही होती है। इसमें रोगी बच्चे के शरीर में रक्त की भारी कमी होने लगती है, जिसके कारण उसे बार-बार बाहरी खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है। यह दो प्रकार का होता है। यदि पैदा होने वाले बच्चे के माता-पिता दोनों के जींस में माइनर थेलेसीमिया होता है, तो बच्चे में मेजर थेलेसीमिया हो सकता है, जो काफी घातक हो सकता है।[१] किन्तु पालकों में से एक ही में माइनर थेलेसीमिया होने पर किसी बच्चे को खतरा नहीं होता। यदि माता-पिता दोनों को माइनर रोग है तब भी बच्चे को यह रोग होने के २५ प्रतिशत संभावना है।। अतः यह अत्यावश्यक है कि विवाह से पहले महिला-पुरुष दोनों अपनी जाँच करा लें।विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत देश में हर वर्ष सात से दस हजार थैलीसीमिया पीडि़त बच्चों का जन्म होता है। केवल दिल्ली व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ही यह संख्या करीब १५०० है। भारत की कुल जनसंख्या का ३.४ प्रतिशत भाग थैलेसीमिया ग्रस्त है।[२] इंग्लैंड में केवल ३६० बच्चे इस रोग के शिकार हैं, जबकि पाकिस्तान में १ लाख और भारत में करीब 10 लाख बच्चे इस रोग से ग्रसित हैं।


थैलेसेमिया में आनुवांशिकता का ऑटोसोमल रिसेसिव पैटर्न होता है।

इस रोग का फिलहाल कोई ईलाज नहीं है। हीमोग्लोबीन दो तरह के प्रोटीन से बनता है अल्फा ग्लोबिन और बीटा ग्लोबिन। थैलीसीमिया इन प्रोटीन में ग्लोबिन निर्माण की प्रक्रिया में खराबी होने से होता है। जिसके कारण लाल रक्त कोशिकाएं तेजी से नष्ट होती है। रक्त की भारी कमी होने के कारण रोगी के शरीर में बार-बार रक्त चढ़ाना पड़ता है। रक्त की कमी से हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है[१] एवं बार-बार रक्त चढ़ाने के कारण रोगी के शरीर में अतिरिक्त लौह तत्व जमा होने लगता है, जो हृदय, यकृत और फेफड़ों में पहुँचकर प्राणघातक होता है।[२] मुख्यतः यह रोग दो वर्गों में बांटा गया है:

मेजर थैलेसेमिया:
यह बीमारी उन बच्चों में होने की संभावना अधिक होती है, जिनके माता-पिता दोनों के जींस में थैलीसीमिया होता है। जिसे थैलीसीमिया मेजर कहा जाता है।

थैलेसेमिया:

थैलीसीमिया माइनर उन बच्चों को होता है, जिन्हें प्रभावित जीन माता-पिता दोनों में से किसी एक से प्राप्त होता है। जहां तक बीमारी की जांच की बात है तो सूक्ष्मदर्शी यंत्र पर रक्त जांच के समय लाल रक्त कणों की संख्या में कमी और और उनके आकार में बदलाव की जांच से इस बीमारी को पकड़ा जा सकता है।

पूर्ण रक्तकण गणना (कंपलीट ब्लड काउंट) यानि सीबीसी से रक्ताल्पता या एनीमिया का पता लगाया जाता है। एक अन्य परीक्षण जिसे हीमोग्लोबिन इलैक्ट्रोफोरेसिस कहा जाता है से असामान्य हीमोग्लोबिन का पता लगता है। इसके अलावा म्यूटेशन एनालिसिस टेस्ट (एमएटी) के द्वारा एल्फा थैलीसिमिया की जांच के बारे में जाना जा सकता है। मेरूरज्जा ट्रांसप्लांट से भी इस बीमारी के उपचार में मदद मिलती है।
लक्षण

सूखता चेहरा, लगातार बीमार रहना, वजन ना ब़ढ़ना और इसी तरह के कई लक्षण बच्चों में थेलेसीमिया रोग होने पर दिखाई देते हैं।

बचाव एवं सावधानी

थेलेसीमिया पी‍डि़त के इलाज में काफी बाहरी रक्त चढ़ाने और दवाइयों की आवश्यकता होती है। इस कारण सभी इसका इलाज नहीं करवा पाते,[५] जिससे १२ से १५ वर्ष की आयु में बच्चों की मृत्य हो जाती है। सही इलाज करने पर २५ वर्ष व इससे अधिक जीने की आशा होती है। जैसे-जैसे आयु बढ़ती जाती है, रक्त की जरूरत भी बढ़ती जाती है।

* विवाह से पहले महिला-पुरुष की रक्त की जाँच कराएँ।
* गर्भावस्था के दौरान इसकी जाँच कराएँ
* रोगी की हीमोग्लोबिन ११ या १२ बनाए रखने की कोशिश करें
* समय पर दवाइयाँ लें और इलाज पूरा लें।

विवाह पूर्व जांच को प्रेरित करने हेतु एक स्वास्थ्य कुण्डली का निर्माण किया गया है, जिसे विवाह पूर्व वर-वधु को अपनी जन्म कुण्डली के साथ साथ मिलवाना चाहिये। स्वास्थ्य कुंडली में कुछ जांच की जाती है, जिससे शादी के बंधन में बंधने वाले जोड़े यह जान सकें कि उनका स्वास्थ्य एक दूसरे के अनुकूल है या नहीं। स्वास्थ्य कुंडली के तहत सबसे पहली जांच थैलीसीमिया की होगी। एचआईवी, हेपाटाइटिस बी और सी। इसके अलावा उनके रक्त की तुलना भी की जाएगी और रक्त में RH फैक्टर की भी जांच की जाएगी।

इस प्रकार के रोगियों के लिए कितनी ही संस्थायें रक्त प्रबंध कराती हैं। इसके अलावा बहुत से रक्तदान आतुर सज्जन तत्पर रहते हैं।

शोध और विकास

थैलेसीमिया पर विश्व भर में शोध अनुसंधान अन्वरत जारी हैं। इन प्रयासों से ही थैलीसीमिया पीड़ितों के लिए एक दवाई अविष्कृत हुई थी। इस दवाई से बच्चों को अब इंजेक्शन के दर्द को नहीं झेलना पड़ेगा। जल्दी ही भारतीय बाजार में ये दवा आने वाली है, जिसे खाने से ही शरीर में लौह मात्रा नियंत्रित हो जाएगी। असुरां नाम की यह दवा पश्चिमी देशों में एक्स जेड नाम से पहले से ही प्रयोग हो रही है। इससे इलाज का खर्च भी कम हो जाएगा, किंतु इसके दुष्प्रभावों (साइड एफ़ेक्ट्स) में इससे किडनी प्रभावित होने का एक परसेंट खतरा बना रहता है। दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के थैलीसीमिया इकाई के अध्यक्ष डॉ. वीरेंद खन्ना के अनुसार[२] भारत में अतिरिक्त लौह निकालने के लिए दो तरीके प्रचलन में हैं। पहले तरीके में डेसोरॉल (इंजेक्शन) के जरिए आठ से दस घण्टे तक लौह निकाला जाता है। यह प्रक्रिया बहुत महंगी और कष्टदायक होती है। इसमें प्रयोग होने वाले एक इंजेक्शन की कीमत १६४ रुपए होती है। इस प्रक्रिया में हर साल पचास हजार से डेढ़ लाख रुपए तक खर्च आता है। दूसरी प्रक्रिया में कैलफर नामक दवा(कैप्सूल) दी जाती है। यह दवा सस्ती तो है लेकिन इसका इस्तेमाल करने वाले ३० प्रतिशत रोगियों को जोड़ों में दर्द की समस्या हो जाती है। साथ ही इनमें से एक प्रतिशत बच्चे गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में नई दवा असुरां काफ़ी लाभदायक होगी। यह दवा फलों के रस के साथ मिलाकर पिलाई जाती है और इसकी कीमत १०० रुपये प्रति डोज है।

मेरु रज्जू ट्रांस्प्लांट

थैलेसीमिया के लिये स्टेम सेल से उपचार की भी संभावनाएं हैं। इसके अलावा इस रोग के रोगियों के मेरु रज्जु (बोन मैरो) ट्रांस्प्लांट हेतु अब भारत में भी बोनमैरो डोनर रजिस्ट्री खुल गई है।[१०] मैरो डोनर रजिस्ट्री इंडिया (एम.डी.आर.आई) में बोनमैरो दान करने वालों के बारे में सभी आवश्यक जानकारियां होगी जिससे देश के ही नहीं वरन विदेश से इलाज के लिए भारत आने वाले रोगियों का भी आसानी से उपचार हो सकेगा। यह केंद्र मुंबई में स्थापित किया जाएगा। ऐसे केंद्र वर्तमान में केवल अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा जैसे देशो में ही थे। ल्यूकेमिया और थैलीसीमिया के रोगी अब बोनमैरो या स्टेम सेल प्राप्त करने के लिए इस केंद्र से संपर्क कर मेरुरज्जु दान करने वालों के बारे में जानकारी के अलावा उनके रक्त तथा लार के नमूनों की जांच रिपोर्ट की जानकारी भी ले पाएंगे। जल्दी ही इसकी शाखाएं महानगरों में भी खुलने की योजना है।

थालेसिमिया के आलावा HIV भी माता-पिता में से किसी एक यो दोनों के द्वारा होने वाले बच्चों में फैलता है| अतः यह बेहद ही जरूरी होता है की शादी से पहले दोनों जोड़े अपना-अपना स्वास्थ्य परिक्षण जरूर करावा लें, इससे आने वाले पीढी के स्वास्थ्य सुनिश्चित हो जाता है|


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श्रोत लेख : विकी थालेसिमिया

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Monday, October 12, 2009

मतदान करना हमारी नैतिक जिमेद्दारी है या महज एक औपचारिकता?

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महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव कल दिनांक १३ अक्टूबर २००९ को होना है, जनता को फिर एक बार अपने मताधिकार का उपयोग कर सरकार गठन करने का जिम्मा मिला है| अब सोचने योग्य बात यह है की कौन है जो जनता के आशाओं और जरूरतों को पूरा कर सकने में सक्षम होगा! किस आधार पर किसी उम्मीदवार को अपना वोट देकर उसकी जीत को करना चाहिए? क्या किसी एक पार्टी विशेष को ध्यान में रख कर उसी पार्टी के उम्मीद वर को वोट दें, या फिर उम्मीदवार की योग्यता, कर्मठता एवं साफ सुथरी छवि को तवज्जो देना चाहिए चाहे वो किसी भी पार्टी विशेष का हो या फिर कोई निर्दलीय ही क्यों न हो! क्या हमने और आपने कभी अपने क्षेत्र के उम्मीदवारों के बारे में जानना चाह की कौन कितना योग्य है? मतदान करना हमारी नैतिक जिमेद्दारी है या महज एक औपचारिकता?

किन मुद्दों को ध्यान में रख कर आप अपनें मताधिकार का उपयोग करेंगे? क्षेत्रवाद, भाषावाद, धर्मवाद, जातिवाद या फिर अपने क्षेत्र के विकास, रोजगार, आर्थिक तंगी, सुरक्षा और सुख शांति को ध्यान में रखना सही होगा? सोचिये, चिंतन करिए की हम क्या चाहते है, और हम जो हम चाहते हैं वो हमें कौन दिला सकता है?

महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव के मद्देनज़र किसी पार्टी नें या किसी उम्मीदवार नें आपको विकास का वादा किया या फिर आपके भावनाओं को भड़का कर आपसे क्षेत्रवाद, भाषावाद, धर्मवाद, जातिवाद के आधार पर आपसे अपने लिए मत माँगा? आप सोचिये आप के लिए कौन से मुद्दे जरूरी हैं, और उसी आधार पर अपनें मताधिकार का सदुपयोग करें!!!

खुद जाकर मतदान करें तथा औरों को भी प्रेरित करें!!!

जय हिंद! जय हाराष्ट्र!!
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There can be no daily democracy without daily citizenship.
-Ralph Nader

नागरिकता के दैनिक व्यवहार के बिना लोकतंत्र का दैनिक निर्वाह हो ही नहीं सकता|
-राल्फ़ नेडर

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"When nobody around you seems to measure up, it's time to check your yardstick."
-Bill Lemley

"आप के आसपास के लोगों में से कोई भी जब आप के मानदंडों पर खरा न उतरे तो मान लीजिए कि अपने मानदंडों को फिर से परख लेने का समय आ गया है| "
-बिल लेमली

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"You can close your eyes to reality but not to memories."
-Stanislaw Lec

"आप वास्तविकता से अपनी आंखे मूंद सकते हैं, मगर स्मृतियों से नहीं| "
-स्तानिस्ला लैक

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"Good thoughts bear good fruit, bad thoughts bear bad fruit. "
-James Allen

"सुविचरों से सुफल उपजते हैं और कुविचारों से कुफल|" -जेम्स एलन

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"Ninety-nine percent of all failures come from people who have the habit of making excuses."
-George Washington Carver

"असफल व्यक्तियों में से निन्यानवे प्रतिशत वे लोग होते हैं जिन की आदत बहाने बनाने की होती है| " -जॉर्ज वाशिंगटन कार्वर

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"The way I see it, if you want the rainbow, you gotta put up with the rain. "
-Dolly Parton

"मेरा दृष्टिकोण तो यह है कि आप इंद्रधनुष चाहते हैं तो आप को वर्षा सहन करनी ही होगी| "
-डॉली पार्टन