Thursday, November 19, 2009

९०-१० का सिद्धांत


एक बहुत ही महत्वपूर्ण सूत्र है जो जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण दे सकता है। "90-10 का सिद्धांत" नाम के इस सूत्र के अनुसार हमारे जीवन में जो घटित होता है उसका मात्र 10 प्रतिशत हमारे हाथ में नहीं होता बाकी का 90 प्रतिशत हमारे हाथ में होता है। इसे एक उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं। आप दफ्तर जाने के लिए तैयार हो रहे हैं। नाश्ते की मेज पर आपकी बेटी ने चाय का प्याला आपकी कमीज पर गिरा दिया, आपने गुस्से में उसे एक चपत लगा दी और साथ ही पत्नी को भी डांट पिला दी कि उसने न तो चाय का प्याला ठीक से रखा न ही बेटी को कोई तमीज सिखाई है। गुस्से में भुनभुनाते हुए आप ऊपर गए कपडे बदल कर जब नीचे आए तो देखा कि रोने के कारण बेटी ने नाश्ता पूरा नहीं किया और उसकी स्कूल बस निकल गई। पत्नी को भी दफ्तर जाना था और क्रोध में वो किसी तरह का सहयोग भी नहीं देना चाहती थी इसलिए बच्ची को स्कूल आपको ही छोडना था। गुस्से में आपने उसे स्कूल छोडा तो आपसे इतनी नाराज थी कि पीछे मुडकर भी नहीं देखा। दफ्तर के लिए पहले ही देर हो चुकी थी इसलिए आपने गाडी की गति बढा दी और ट्रेफिक पुलिस के हत्थे चढ गए। पैसे देकर जैसे तैसे दफ्तर पहुंचे तो याद आया कि ब्रीफकेस तो घर ही भूल आए। एक खराब दिन के बाद जब शाम को घर पहुंचे तो पत्नी और बेटी का मूंड खराब था और आपसे बात करने या आपका स्वागत करने में उनकी कोई रूचि नहीं थी।
इसी घटना को दूसरी तरह देखते हैं। बेटी ने कमीज पर चाय गिरा दी। आप हडबडाए परन्तु तुरन्त ही संभलते हुए आपने घबराई हुई बेटी को प्यार से कहा, " कोई बात नहीं आगे से घ्यान रखना। " जल्दी-जल्दी कपडे बदल कर आप नीचे आए तो देखा आपकी बेटी स्कूल बस में चढ रही है और आपको देखते ही उसने हाथ दिया। आप और आपकी पत्नी मुस्कुराते हुए एक साथ काम पर निकले। समय पर दफ्तर पहुंच कर अपने एक खुशनुमा दिन बिताया। घर लौटे तो बेटी और पत्नी ने मुस्कुराते हुए आपका स्वागत किया। इस घटना में जो 10 प्रतिशत आपके हाथ में नहीं था वो है चाय के प्याले का गिरना बाकी का 90 प्रतिशत अर्थात आपकी प्रतिक्रिया आपके हाथ में थी।
ज्योतिष शास्त्र में इस त्वरित प्रतिक्रिया के लिए केतु एवं सूर्य तथा द्वितीय एवं चतुर्थ भाव की महत्वपूर्ण भूमिका है। दूसरा भाव वाणी का है तथा चौथा भाव हमारे विचार या opinion का है। केतु त्वरित परिणामों के लिए जाने जाते हैं। दूसरे भाव में स्थित केतु त्वरित एवं अत्यधिक खरा बोलने के लिए प्रेरित करते हैं। इसी प्रकार इन भावों में सूर्य की उपस्थिति भी समान परिणाम देती है,
जैसे भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की नींव मजबूत करने का श्रेय लार्ड कर्जन को जाता है। अपनी जवान के तीखेपन से ही इन्होंने तत्कालीन नवाबों को निरूत्तर कर दिया था और वकालत के क्षेत्र में राम जेठमलानी ने अपने नाम के झण्डे गाडे हैं। यह त्वरित एवं तीखी टिप्पणियों के लिए सदा मशहूर रहे हैं।
ये द्वितीय भाव स्थित केतु की ही कृपा है। उक्त हस्तियों ने अपने-अपने क्षेत्र में पूर्ण निष्ठा से अपने लिए जगह बनाई, अत: इनके professional field में तीखी टिप्पणियों को भी सर माथे लिया गया। साथ ही इनकी टिप्पणियों में इनका अनुभव, अपने क्षेत्र में इनकी पकड सम्मिलित है। इनकी टिप्पणियां उस कडवी गोली की तरह है जो अंतत: फायदा देती हैं परन्तु व्यक्तित्व निर्माण की प्रक्रिया से गुजरते हुए या निजी रिश्तों में त्वरित एवं तीखी प्रतिक्रिया घातक सिद्ध हो सकती है। यद्यपि यह ग्रह प्रदत्त है परन्तु ग्रहों के इस इशारे को समझ कर तथा उनके आशीर्वाद और अपने प्रयास से हम इससे बच सकते हैं। हमारे हाथ में जो 90 प्रतिशत है, उसका सही प्रयोग ही इस प्रतिस्पर्द्धा के युग में हमें संतुलित व्यक्तित्व प्रदान कर सकता है जो हमें दौड में औरों से आगे ले जाएगा।


श्रोत कड़ी:

90-10 का सिद्धांत

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